​भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट के अनुसार, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता अंतिम चरण में है। यदि यह समझौता सफल होता है, तो भारत अमेरिका के साथ ट्रेड डील पर हस्ताक्षर करने वाला पहला देश बन जाएगा, जिससे वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ नीति से बच सकेगा।​

वर्तमान में अमेरिका भारत के निर्यात पर 10% टैरिफ लगा रहा है, और 26% तक का शुल्क लगाने की चेतावनी दी गई है, जिसे 90 दिनों के लिए स्थगित किया गया है और यह 8 जुलाई को समाप्त हो रहा है। बेसेंट ने वॉशिंगटन में एक राउंडटेबल बातचीत में कहा कि भारत के पास ऊंचे टैरिफ नहीं हैं, गैर-टैरिफ अड़चनें भी कम हैं, न कोई करंसी मैनिपुलेशन है और न ही भारी सब्सिडी – ऐसे में भारत से डील करना अपेक्षाकृत आसान है।​

यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर हैं। वेंस ने जयपुर में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध आज के समय के सबसे महत्वपूर्ण कूटनीतिक साझेदारियों में से एक हैं। दोनों देशों का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को $500 अरब तक पहुंचाना है।​

ट्रंप की ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ नीति के तहत, यदि कोई देश अमेरिकी सामानों पर अधिक शुल्क लगाता है, तो अमेरिका भी उसी अनुपात में जवाबी टैरिफ लागू करता है। भारत के लिए यह 26% तक हो सकता है, जो फिलहाल जुलाई तक रोका गया है।​

इस संभावित व्यापार समझौते से भारत को अमेरिकी बाजार में बेहतर पहुंच मिलेगी और दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को मजबूती मिलेगी। यह कदम वैश्विक व्यापारिक परिदृश्य में भारत की स्थिति को और सुदृढ़ करेगा।​